इसरो से जुड़ी 20 रोचक बाते  

 20 Important Facts About ISRO in Hindi  

    अनन्त और अपार अंतरिक्ष में हमारी पृथ्वी के कण मात्र है फिर भी हमारे वैज्ञानिको ने इस ब्रहमांड के रहस्यों का पता लगाया है . हर बड़े देश की कोशिश रहती है की वो ब्रह्माण्ड से जुड़ी जानकारी अपने अनुसन्धान केंद्र से निकाल कर लाये . 

    भारत के लिए अंतरिक्ष का अध्ययन करने वाली ऑफिसियल  संस्थान का नाम है इसरो (ISRO ) जो भारत सरकार के अधीन अपने कार्य करती है .  

    इसरो की फुल फॉर्म है - इंडियन रिसर्च स्पेस आर्गेनाइजेशन (Indian Research Space Organization ) . इसे हिंदी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान  कहते है . 

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    इसका मुख्य कार्यालय बंगलौर में है .  इस संसथान का मुख्य कार्य अन्तरिक्ष पर अपनी खोज करना है . इसमे 17 हजार से ज्यादा लोग , वैज्ञानिक कार्य करते है . 

    इसरो  की स्थापना कब और किसने की ?

    भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्था की स्थापना 15 अगस्त 1969 में की गयी थी . पहले इसका नाम अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) था .  

    इसरो के जनक के रूप में विक्रम साराभाई का नाम लिया जाता है .  1957 में स्पूतनिक के प्रक्षेपण के बाद उन्होंने स्वदेशी  उपग्रहों की उपयोगिता को जाना और उसके लिए देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक संस्थान खोलने का विचार किया जो अंतरिक्ष सम्बन्धी अपनी खोज कर सके . 

    इसरो के भारत में 13 सेण्टर है . इसमे सबसे मुख्य है श्रीहरिकोटा , विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (त्रिवंतपुरम ) , सतीश धवन स्पेस सेंटर , स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद में . 

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    इसरो के मुख्य अभियान  कौनसे है 

    चंद्रयान , मंगलयान आदि प्रमुख अभियान को इसरो ने शुरू किया है . 

    - भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट सोवियत संघ की सहायता से 19 अप्रैल 1975 को भेजा था . 

    - उसके बाद दूसरा उपग्रह 7 जून 1979 को भेजा जिसका नाम था  भास्कर जो 442 किलो का था . इसे पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया . 

    -फिर स्वदेशी रोहिणी उपग्रह 1980 में पहल  भारत-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बन गया जिसे अंतरिक्ष में भेजा गया था . 

    Isro Facts in Hindi
    Photo : thedispatch.in

    -  इसके बाद भारत ने स्वयं का स्वदेशी  PSLV (पीएसएलवी ) और  GSLV (जीएसएलवी ) राकेट लांचर बनाया जो भारत के लिए बहुत गर्व की बात थी . 

    - 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 भेजा जिसने चन्द्रमा की परिक्रमा की . 

    - 24 सितम्बर 2014 को मंगल ग्रह  के चक्र लगाने के लिए मंगलयान  भेजा गया जो सफल रहा . 

    - जून 2016 अपने देश के और दुसरे देशो के 57 उपग्रहों को स्पेस में भेज चूका है जिससे की इसरो को 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर का फायदा हुआ है . 


    इसरो के प्रमुख राकेट  (प्रक्षेपण वाहन )

    इसरो के पास खुद के दो राकेट है जिसके द्वारा वो अंतरिक्ष में अपने उपग्रह छोड़ सकता है . इसमे एक है . PSLV (पीएसएलवी ) और दूसरा है GSLV (जीएसएलवी ) . 

    पहले भारत विदेशी सहायता से अपने सैटेलाइट स्पेस में भेजता था पर फिर भारत के महान वैज्ञानिको ने ये दो पीएसएलवी और जीएसएलवी को बना दिया . 

    प्रक्षेपण वाहन उस राकेट को कहते है जो सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लेकर जाता है . 

    PSLV और GSLV में अंतर 

    PSLV जहाँ छोटे उपग्रहों को लेकर जाता है , वही बाहरी उपग्रहों को ले जाने में GSLV सक्षम है . GSLV पृथ्वी से 36 हजार किमी की ऊंचाई पर सैटेलाइट को ले जा सकता है . 

    PSLV से अभी तक हमने 150 से ज्यादा उपग्रहों को सफलतापूर्वक स्पेस में स्थापित कर दिया है . 

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    इसरो का सबसे सभी भारी राकेट 

    इसरो ने एक और बड़ी सफलता प्राप्त करते हुए अपना सबसे भारी राकेट ISRO LVM3 को सफलतापूर्वक लांच किया . इस वजनी राकेट में 36 ब्रॉडबैंड संचार उपग्रह थे जिन्हें यह राकेट अंतरिक्ष में लेकर गया . 

    आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह  ISRO LVM3 Rocket 8000 किलो तक के सैटेलाइट को ले जाने में सक्षम है.

    Isro Mission
    Photo : Isro 

    इन्हे सतीश धवन स्पेस स्टेशन श्री हरिकोटा आंद्रप्रदेश से 23 October 2022 में  लांच किया गया था . इसमे `150 किलो का एक सैटेलाइट था और टोटल सैटेलाइट 36 थे . सब मिलाकर इस राकेट का वजन 6 टन के करीब हो गया था . 


    इसरो के भविष्य के मिशन 

    चंद्रयान 2 (Chandrayan 2) :- 

    चन्द्रमा की सतह पर भारत अपना स्वदेशी यान उतारकर उसकी धरती और उसमे छीपे तत्वों की खोज करने के लिए चंद्रयान 2 मिशन शुरू करेगा . 

    गगनयान मिशन (Gaganyan Mission ): 

    इस मिशन में तीन लोग अंतरिक्ष में 7 दिन रुकेंगे और अंतरिक्ष की बारीक जानकारियों को लेकर धरती पर लौटेंगे . यह भारत के एक बड़ा मिशन होगा क्योकि इसमे मानव सहित स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में कई दिन बिता कर आएगा . 

    भारत सरकार ने इस मिशन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश की मंजूरी दे दी है .  

    आदित्य मिशन (Aaditya Mission ) :- 

    इस मिशन के अंतर्गत इसरो सूर्य के कक्ष में अपना एक मानव निर्मित उपग्रह सेट करेगा जो सूर्य से जुड़ी बहुत सी जानकारियाँ और फोटो को इसरो को भेजेगा , इस मिशन की कामयाबी पर हमें सूर्य से जुड़ी कई अनमोल जानकारियाँ प्राप्त होगी . 

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    Conclusion (निष्कर्ष )

    आशा करता हूँ कि यह पोस्ट भारतीय अंतरिक्ष संस्थान  इसरो से जुड़ी जरुरी बाते   आपको जरुर पसंद आयी होगी . इसमे हमने आपको इसरो का इतिहास , स्थापना और उसके पुराने और नए मिशन के बारे में आपको बताया है . 

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